विजय देवरकोंडा की ‘Kingdom’ से आशाओं और सच्चा
साउथ इंडस्ट्री के सुपरस्टार Vijay Deverakonda की नई फिल्म ‘Kingdom’ आखिरकार सिनेमाघरों पर दस्तक दे दी है। रिलीज़ से पहले फिल्म के बारे में जबरदस्त हाइप देखने को मिला, खासकर ट्रेलर और पोस्टर रिलीज के बाद। निर्देशक गौतम तिन्ननुरी की फिल्म एक ऐतिहासिक-काल्पनिक एक्शन ड्रामा है, जो भव्य सेट्स, शानदार वीएफएक्स और एक महाकाव्य जैसी फीलिंग के साथ आती है। हालांकि फिल्म ने ओपनिंग डे पर बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन क्या इसकी कहानी और निर्देशन दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरती है
एक वीरता से भरी गाथा, जिसमें तालमेल की कमी
‘Kingdom’ का जुनून एक काल्पनिक साम्राज्य की ओर इर्द-गिर्द घूमता है। विजय देवरकोंडा इसमें एक योद्धा की भूमिका में हैं जो न्याय, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए अपने ही साम्राज्य की सत्ता के खिलाफ टकराता है। सत्ता का संघर्ष, युद्ध, राजनीति, और बलिदान के कई स्तर फिल्म में दिखाए गए हैं।
- ऐतिहासिक और एक्शन का मिश्रण दर्शकों को खुश करता है।
- फर्स्ट हाफ में कहानी की पकड़ मजबूत है।
- बैकग्राउंड स्कोर और सेट डिज़ाइन इमर्सिव हैं।
कमजोरियाँ:
- सेकेंड हाफ में कहानी धीमी हो जाती है।
- स्क्रिप्ट में गहराई और भावनात्मक जुड़ाव की कमी महसूस होती है।
- कुछ कैरेक्टर्स अधूरे और कमज़ोर से लगते हैं।
स्टाइलिश लेकिन इमोशनल टच में कमी
विजय देवरकोंडा ने अपने किरदार के लिए मेहनत की है। उनका फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन, एक्शन सीन, और स्क्रीन प्रेजेंस दर्शकों को आकर्षित करता है। फिर भी, फिल्म के कई इमोशनल सीन में उनकी परफॉर्मेंस थोड़ी सीमित दिखाई देती है। उनके फैंस को यह किरदार जरूर पसंद आएगा, जैसे कि महेश बाबू, प्रभास, और जुनैद शेख, लेकिन आम दर्शकों के लिए यह रोल उनकी पिछली फिल्मों जितना प्रभावशाली नहीं है।
भव्यता में कोई कमी नहीं, लेकिन कह घटना में उतार-चढ़ाव
गौतम तिन्ननुरी ने फिल्म को एक भव्य स्केल पर प्रस्तुत किया है। सिनेमैटोग्राफी, वीएफएक्स, और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन सभी उच्च स्तर के हैं। हर फ्रेम में एक विजुअल ट्रीट नजर आता हैं। लेकिन जहां तकनीकी पक्ष मजबूत है, वहीं कहानी और स्क्रीनप्ले में काफी उतार-चढ़ाव है। कुछ सीन्स दर्शकों को इमोशनली जोड़ने में असफल रहते हैं।
दमदार ओपनिंग, लेकिन क्या ये ट्रेंड टिकेगा
‘Kingdom’ ने रिलीज के पहले दिन ही ₹14.5 करोड़ की शानदार कमाई की है। फिल्म का प्रचार-प्रसार, स्टार पावर और सिनेमैटिक प्रेजेंटेशन इस शुरुआती सफलता के पीछे के बड़े कारण हैं।
सोशल मीडिया
- ट्विटर पर #KingdomMovie ट्रेंड कर रहा है।
- फैंस इसे विजय देवरकोंडा की ‘Redemption Film’ कह रहे हैं।
- कुछ लोग फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और एक्शन को शानदार बता रहे हैं।
क्रिटिक्स की राय:
- The Hindu: “A visually rich, albeit wobbly action saga.”
- India Today: “Kingdom finds its rhythm when it matters.”
- TOI ने फिल्म को 3/5 स्टार दिए हैं और इसे “Technically brilliant but narratively uneven” कहा है।
क्यों उठे कहानी पर सवाल?
- लेंसडाउन में ढीलापन – खासकर दूसरे हाफ में।
- एमोशनल कनेक्ट की कमी – दर्शक पात्रों से पूरी तरह जुड़ नहीं पाते।
- क्लाइमैक्स का पूर्वानुमान आसानी से किया जा सकता है – जिससे सस्पेंस ठीक हो जाता है।
क्या Kingdom लंबे समय तक टिकेगी?
- स्टार पावर (विजय देवरकोंडा)
- टेक्निकल स्ट्रेंथ (VFX, सेट्स, बैकग्राउंड स्कोर)
- सोशल मीडिया सपोर्ट
लेकिन फिल्म की कमजोरी है: - कमजोर कहानी का आधार
- सीमित रिवॉच वैल्यू
अगर माउथ ऑफ माउथ पॉज़िटिव रहता है, तो फिल्म ₹80-90 करोड़ तक जा सकती है। लेकिन अगर गिरावट जारी रही, तो ₹60-65 करोड़ पर सिमटना तय है।
देखने लायक लेकिन अपेक्षा से कम
‘Kingdom’ एक ऐसी फिल्म है जो विजुअल्स और स्केल में बड़ी है, लेकिन कंटेंट के स्तर पर थोड़ी असंतुलित लगती है। फर्स्ट हाफ दर्शकों को बांधता है, लेकिन सेकेंड हाफ में फिल्म दिशा खोती सी नजर आती है। फिल्म उन लोगों के लिए हो सकती है जो ग्रैंड एक्शन और सिनेमैटिक एक्सपीरियंस प्रयोग करना चाहते हैं, लेकिन यदि आप अपनी कहानी को मजबूत बनाने की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म थोड़ा निराश कर सकती है।
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