Bharat Bandh 2025: ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से सड़कें-जंक्शन ठप, जानें विरोध की वजह और मुख्य मांगे

Bharat Bandh 2025: भारत में एक बार फिर से ‘भारत बंद’ की तस्वीरें सामने आई हैं। देशभर की प्रमुख ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों के संगठनों ने मिलकर इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसका असर सड़क से लेकर रेलवे स्टेशन, बैंक और सरकारी दफ्तरों तक साफ देखा जा रहा है। विरोध की लहर है लेकिन यह सवाल है कि आखिर ये बंद क्यों बुलाया गया ये प्रदर्शनकारी कौन हैं और वे सरकार से क्या मांग रहे हैं?

भारत बंद 2025 क्या है?

Bharat Bandh 2025 देशभर में विभिन्न ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी संगठनों, बैंक यूनियनों, रेलवे और शिक्षा कर्मचारियों द्वारा आयोजित एक सामूहिक विरोध प्रदर्शन है। इसका आयोजन सरकार की आर्थिक नीतियों, निजीकरण, श्रम कानूनों में बदलाव और मजदूरों के अधिकारों में कटौती के खिलाफ किया जा रहा है।

मुख्य मांगे क्या हैं-प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने सरकार के सामने कुछ मुख्य मांगें रखी हैं:

  1. निजीकरण पर रोक – सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जैसे रेलवे, बीमा, बैंक, और तेल कंपनियों के निजीकरण को तुरंत रोका जाए।
  2. पुराने श्रम कानूनों की बहाली – नए श्रम कोड को वापस लेकर पहले के श्रम अधिकार और सुरक्षा कानून फिर से लागू किए जाएं।
  3. न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि – सभी क्षेत्रों में ₹26,000 प्रति माह की न्यूनतम मजदूरी तय की जाए।
  4. सामाजिक सुरक्षा – असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और अन्य सुविधाएं दी जाएं।
  5. महंगाई पर नियंत्रण – आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण और सब्सिडी बहाल की जाए।
  6. ठेकेदारी प्रथा खत्म हो – सभी सरकारी और निजी संस्थानों में ठेका व्यवस्था खत्म की जाए और स्थायी रोजगार दिए जाएं।

हड़ताल की शुरुआत 9 जुलाई 2025 की सुबह से हुई, और अधिकांश राज्यों में इसका व्यापक प्रभाव देखा गया:

  • पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र वाले राज्यों में ट्रेनें रोकी गईं, कई बस रूट प्रभावित हुए।
  • बैंक कर्मचारियों ने भी काम बंद कर दिया, जिससे लेनदेन बाधित हुआ।
  • सरकारी और शिक्षा संस्थानों में उपस्थिति बेहद कम रही।
  • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और पटना में शहरों में सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ रही।

रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों को प्रदर्शनकारियों ने रोका गया। कई मुख्य ट्रेनें रद्द कर दी गईं या लेट हुईं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हुई।

सड़क मार्ग पर भी असर रहा, खासकर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम और अवरोध देखने को मिले। टैक्सी और ऑटो यूनियनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया, जिससे आम यात्रियों की परेशानी बढ़ गई।

भारत बंद की तस्वीरों में गूंजता विरोध

Bharat Bandh 2025 फोटोज़ और वीडियोज़ में पूरे देश में एक ही नज़ारा दिखा — नारों की गूंज, झंडों से लहराती भीड़, और जनविरोधी नीतियों का बहिष्कार जैसे संदेश। गाना विरोधियों द्वारा कई स्थानों पर शांतिपूर्ण रैलियाँ निकाली गईं, तो कहीं झड़पों की खबरें भी आ रही हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में।

Bharat Bandh 2025 पर सरकार के स्तर पर अभी तक कोई औपचारिक बातचीत का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन श्रम मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने इशारा दिया है कि अगर हड़ताल के बाद यूनियनें बातचीत के लिए तैयार हों, तो संवाद के रास्ते खुले हैं।

आखिर क्यों दोहराया जा रहा है यह संघर्ष?

पेशेवरों का मानना है कि देश की आर्थिक नीतियाँ, खासकर निजीकरण और श्रम सुधार पर सरकार और श्रमिक संगठनों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। एक ओर सरकार का कहना है कि ये नीतियाँ ‘Ease of Doing Business’ और निवेश बढ़ाने के लिए जरूरी हैं, तो दूसरी ओर यूनियनें इसे मजदूर विरोधी और सामाजिक सुरक्षा को खत्म करने वाला कदम घोषित कर रही हैं।

भारत बंद कुछ सिर्फ विरोध नहीं, मजदूरों की आवाज़ है

Bharat Bandh 2025 एक दिन की हड़ताल नहीं, हमारा प्रभावशाली संदेश है करोड़ों मजदूरों का, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार और यूनियनों के बीच संवाद और सहमति ही इसका एकमात्र स्थायी समाधान हो सकता है। जब तक आवाजें सुनी नहीं जातीं, विरोध की ये लहरें यूँ ही उठती रहेंगी।

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