DELHI-NCR, हरियाणा और राजस्थान में मूसलधार बारिश का कहर जारी, 13 जुलाई तक IMD का रेड अलर्ट

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उत्तर भारत में मानसून का आगमन हुआ है और अब उसका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। भारत मौसम विभाग (IMD) ने अपने ताजा अपडेट में कहा है कि Delhi, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई इलाकों में 13 जुलाई तक तेज बारिश हो सकती है। प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। कई स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस का सहारा लिया है।

  • 9 जुलाई 2025 को मानसून ने दिल्ली और आसपास के इलाकों में दस्तक दी। इसके अलावा यह राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई भागों तक भी पहुँच गया है। इस साल मानसून की गति तेज थी और अब यह पंजाब और हिमाचल प्रदेश की तरफ जा रहा है।
1. दिल्ली-NCR
  • Delhi में कई स्थानों पर 100mm से अधिक बारिश हुई है। जलभराव के कारण सड़कें जाम, मेट्रो सेवाएं देरी और स्कूलों में छुट्टी जैसे परिस्थितियाँ बनीं। कई क्षेत्रों में घर और दुकानें पानी में डूबा गई हैं।
2. हरियाणा
  • गुड़गांव, फरीदाबाद और रोहतक लोग जैसे शहरों में भारी बारिश हुई। नीचे के इलाकों में पानी भरने से जनजीवन बाधित हुआ। किसानों को भी चिंता सता रही है कि ज्यादा पानी से खड़ी फसलों को नुकसान हो सकता है।
3. राजस्थान:
  • जयपुर, अलवर, कोटा और भरतपुर शहरों में भारी वर्षा हुई है। राजमार्गों पर ट्रैफिक स्लो हुआ है और कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति भी हुई है।
4. पश्चिमी उत्तर प्रदेश
  • मेरठ, बागपत, नोएडा और गाजियाबाद में भी मूसलधार बारिश हुई है।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 11 से 13 जुलाई के लिए कई राज्यों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट हो गया है। Delhi , राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी UP में अगले 2–3 दिन लगातार भारी वर्षा की सम्भावना है। कुछ क्षेत्रों में 120mm से अधिक वर्षा हो सकती है, जिससे स्थानीय बाढ़ (Urban Flooding) की आशंका है। लोगों से अपील की गई है कि अनावश्यक यात्रा से बचें, खासकर जलभराव वाले क्षेत्रों में।

अनुमान अगले 3 दिनों

11 जुलाई – भारी बारिश और गरज के साथ तूफान दिल्ली, राजस्थान
12 जुलाई – तेज बारिश, जलभराव की आशंका हरियाणा, पश्चिमी UP

13 जुलाई – बौछारें और बादलों की गड़गड़ाहट DELHI-NCR, पंजाब, हिमाचल

कई राज्यों में प्राथमिक स्कूलों को बंद किया गया है या ऑनलाइन मोड में शिफ्ट किया गया है। ऑफिसों में कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी गई है IMD और प्रशासन ने जनता को निम्नलिखित सुझाव दिए हैं जलभराव वाले इलाकों में जाने से बचें। यदि आप कार चला रहे हैं, तो पानी भरी सड़कों के बचें। मोबाइल पर मौसम अलर्ट ऐप्स MAUSAM App का इस्तेमाल करें।

घरों की छतें और नालियां साफ रखना, ताकि पानी का बहाव प्रवाही हो

इस मानसून की वजह से सोशल मीडिया पर काफी वायरल वीडियोज और फोटोज शेयर हो रहे हैं दिल्ली में बसें पानी में डूबी नजर आईं। जयपुर में क बाइक सवार को पानी में बहते हुए बचाया गया। बच्चों ने बारिश का जमकर आनंद लिया कई जगहों पर छुट्टी का दिन बना मस्तीभरा

जलभराव शहरों में एक समस्या बन जाता है, लेकिन किसानों के लिए मानसून जीवनरेखा है। इस बार की अच्छी बारिश से खरीफ फसलों जैसे धान, बाजरा और मक्का की बुआई में तेजी आ सकती है। मिट्टी की नमी बेहतर होगी जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि संभव है।हालांकि अत्यधिक बारिश से फसलों को नुकसान भी हो सकता है, इसलिए राज्य सरकारें सतर्कता बरत रही हैं।

मानसून का आगमन इस बार जोरदार रहा है और इसका असर पूरे उत्तर भारत में साफ देखा जा रहा है। जहां एक ओर बारिश से गर्मी से राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं।

भारत मौसम विभाग की चेतावनी को निश्चित रूप से अपनाना होगा, क्योंकि अगले 2–3 दिन बहुत ही संवेदनशील हो सकते हैं। बरसात का दौर आनंदमय होता है, लेकिन सावधानी और सतर्कता बनाए रखना ही बुद्धिमानी है।

PM मोदी लौटे भारत, 5 देशों के दौरे में मिला सर्वोच्च सम्मान और रणनीतिक साझेदारियों का नया विस्तार

PM Narendra Modi | newstips.in

PM नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पांच विदेश दौरे को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उन्होंने घाना, नामीबिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, ब्राज़ील, अर्जेंटीना जैसे देशों का दौरा किया। इस दौरान न केवल उन्हें इन देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा गया, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने वाले कई अहम समझौते और साझेदारियां भी स्थापित की गईं।

यह दौरा भारत के लिए सिर्फ एक राजनयिक सफलता, इसके अलावा वैश्विक स्तर पर उसके बढ़ते प्रभाव का भी प्रमाण है। इस यात्रा के प्रमुख बिंदुओं और इसके प्रभाव। PM मोदी का यह दौरा जुलाई 2025 के पहले सप्ताह में शुरू हुआ और कुल पांच देशों को कवर किया

मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान

    PM मोदी को इस यात्रा के अंतर्गत तीन देश – घाना, नामीबिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो ने वहां के टॉप सिविलियन अवॉर्ड से सम्मानित किया। उन्हें यह सम्मान भारत के नेतृत्व में विश्व-समरसता, सहयोग और विकास में योगदान के लिए दिया गया।

    • घाना: “Order of the Star of Ghana”
    • नामीबिया: “Order of the Most Ancient Welwitschia Mirabilis”
    • त्रिनिदाद एंड टोबैगो: “Trinity Gold Medal for Global Diplomacy”
      इन पुरस्कारों के माध्यम से यह संदेश अधिक स्पष्ट होता है कि अब भारत एक विकासशील देश के रूप में नहीं, बल्कि एक मजबूत वैश्विक भागीदार के रूप में उभर रहा है।

    प्रशान्त विश्व की रणनीतिक साझेदारियों का विस्तार

    इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू था – रणनीतिक साझेदारियों और समझौतों का विस्तार। हर देश में भारत ने किए गए MoU (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए किए।

    ऊर्जा और खनिज (नामीबिया)

    भारत ने नामीबिया के साथ यूरेनियम और दुर्लभ खनिजों के आयात के लिए रणनीतिक समझौता किया, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है।

    डिजिटल सहयोग (त्रिनिदाद एंड टोबैगो)

    भारत ने वहां की सरकार के साथ डिजिटल गवर्नेंस, फिनटेक और स्टार्टअप एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की।

    व्यापार और निवेश (अर्जेंटीना और ब्राज़ील)

    Brazil and Argentina के साथ द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए टैरिफ रियायतों और कृषि-निर्यात सहयोग पर सहमति बनी।

    गना और त्रिनिदाद एंड टोबैगो न जैसे अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ विशेष संवाद और सांस्कृतिक आयोजनों से जुड़ाव को और बढ़ाया गया।

    इस यात्रा के माध्यम से भारत ने यह साफ संदेश दिया है कि वह अब वैश्विक मंचों पर एक मजबूत और विकासशील दुनिया की आवाज बन चुका है। पर्यावरण, वैश्विक दक्षिण (Global South), डिजिटल समावेशन और खाद्य सुरक्षा जैसे विषयों पर भारत की नेतृत्व भूमिका की सराहना हुई।

    PM मोदी ने विभिन्न प्रमुख मंचों पर अपने भाषणों में “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को दोहराया, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर को भी बढ़ावा मिला। दुनिया भर की प्रमुख मीडिया संस्थाओं ने इस दौरे को भारत की “नई विदेश नीति की दिशा” और “वैश्विक प्रभाव विस्तार” के रूप में प्रस्तुत किया।

    Reuters, The Guardian, Al Jazeera, और Financial Times सहित एजेंसियों ने इस दौरे की राजनयिक सफलताओं की सराहना की।

    इसका भारत पर क्या प्रभाव होगा?

    1. विदेशी निवेश में वृद्धि: नई सहयोगिक समझौतों के कारण भारत में एफडीआई (FDI) की संभावना बढ़ेगी, खासकर ऊर्जा और टेक सेक्टर में।
    2. प्रवासी भारतीयों का मजबूती दौरे के समय प्रवासी भारतीयों के मुद्दों पर सीधा संवाद हुआ है, जिससे उनकी समस्याएं अब नीति-निर्माण में शामिल हो सकेंगी।
    3. विदेश नीति को नई दिशा: यह दौरा यह दिखाता है कि भारत अब केवल एशिया केंद्रित नहीं, बल्कि एक वैश्विक भागीदार बनने की ओर आगे बढ़ रहा है।

    PM मोदी की यह यात्रा 2025 के G20 सम्मेलन और UNGA महासभा के पहले की गई थी। भारत को अन्य देशों से सहयोग को मजबूत करने में इस दौरे से लाभ होगा।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पांच देशों का दौरा ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से अत्यंत सफल रहा। जहां एक ओर उन्हें कई देशों ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया, वहीं दूसरी ओर भारत ने नई रणनीतिक साझेदारियों और सहयोग का रास्ता खोला। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति नहीं, बल्कि एक स्थिर और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बना चुका है।

    Bharat Bandh 2025: ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से सड़कें-जंक्शन ठप, जानें विरोध की वजह और मुख्य मांगे

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    Bharat Bandh 2025: भारत में एक बार फिर से ‘भारत बंद’ की तस्वीरें सामने आई हैं। देशभर की प्रमुख ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों के संगठनों ने मिलकर इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसका असर सड़क से लेकर रेलवे स्टेशन, बैंक और सरकारी दफ्तरों तक साफ देखा जा रहा है। विरोध की लहर है लेकिन यह सवाल है कि आखिर ये बंद क्यों बुलाया गया ये प्रदर्शनकारी कौन हैं और वे सरकार से क्या मांग रहे हैं?

    भारत बंद 2025 क्या है?

    Bharat Bandh 2025 देशभर में विभिन्न ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी संगठनों, बैंक यूनियनों, रेलवे और शिक्षा कर्मचारियों द्वारा आयोजित एक सामूहिक विरोध प्रदर्शन है। इसका आयोजन सरकार की आर्थिक नीतियों, निजीकरण, श्रम कानूनों में बदलाव और मजदूरों के अधिकारों में कटौती के खिलाफ किया जा रहा है।

    मुख्य मांगे क्या हैं-प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने सरकार के सामने कुछ मुख्य मांगें रखी हैं:

    1. निजीकरण पर रोक – सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जैसे रेलवे, बीमा, बैंक, और तेल कंपनियों के निजीकरण को तुरंत रोका जाए।
    2. पुराने श्रम कानूनों की बहाली – नए श्रम कोड को वापस लेकर पहले के श्रम अधिकार और सुरक्षा कानून फिर से लागू किए जाएं।
    3. न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि – सभी क्षेत्रों में ₹26,000 प्रति माह की न्यूनतम मजदूरी तय की जाए।
    4. सामाजिक सुरक्षा – असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और अन्य सुविधाएं दी जाएं।
    5. महंगाई पर नियंत्रण – आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण और सब्सिडी बहाल की जाए।
    6. ठेकेदारी प्रथा खत्म हो – सभी सरकारी और निजी संस्थानों में ठेका व्यवस्था खत्म की जाए और स्थायी रोजगार दिए जाएं।

    हड़ताल की शुरुआत 9 जुलाई 2025 की सुबह से हुई, और अधिकांश राज्यों में इसका व्यापक प्रभाव देखा गया:

    • पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र वाले राज्यों में ट्रेनें रोकी गईं, कई बस रूट प्रभावित हुए।
    • बैंक कर्मचारियों ने भी काम बंद कर दिया, जिससे लेनदेन बाधित हुआ।
    • सरकारी और शिक्षा संस्थानों में उपस्थिति बेहद कम रही।
    • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और पटना में शहरों में सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ रही।

    रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों को प्रदर्शनकारियों ने रोका गया। कई मुख्य ट्रेनें रद्द कर दी गईं या लेट हुईं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हुई।

    सड़क मार्ग पर भी असर रहा, खासकर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम और अवरोध देखने को मिले। टैक्सी और ऑटो यूनियनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया, जिससे आम यात्रियों की परेशानी बढ़ गई।

    भारत बंद की तस्वीरों में गूंजता विरोध

    Bharat Bandh 2025 फोटोज़ और वीडियोज़ में पूरे देश में एक ही नज़ारा दिखा — नारों की गूंज, झंडों से लहराती भीड़, और जनविरोधी नीतियों का बहिष्कार जैसे संदेश। गाना विरोधियों द्वारा कई स्थानों पर शांतिपूर्ण रैलियाँ निकाली गईं, तो कहीं झड़पों की खबरें भी आ रही हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में।

    Bharat Bandh 2025 पर सरकार के स्तर पर अभी तक कोई औपचारिक बातचीत का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन श्रम मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने इशारा दिया है कि अगर हड़ताल के बाद यूनियनें बातचीत के लिए तैयार हों, तो संवाद के रास्ते खुले हैं।

    आखिर क्यों दोहराया जा रहा है यह संघर्ष?

    पेशेवरों का मानना है कि देश की आर्थिक नीतियाँ, खासकर निजीकरण और श्रम सुधार पर सरकार और श्रमिक संगठनों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। एक ओर सरकार का कहना है कि ये नीतियाँ ‘Ease of Doing Business’ और निवेश बढ़ाने के लिए जरूरी हैं, तो दूसरी ओर यूनियनें इसे मजदूर विरोधी और सामाजिक सुरक्षा को खत्म करने वाला कदम घोषित कर रही हैं।

    भारत बंद कुछ सिर्फ विरोध नहीं, मजदूरों की आवाज़ है

    Bharat Bandh 2025 एक दिन की हड़ताल नहीं, हमारा प्रभावशाली संदेश है करोड़ों मजदूरों का, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार और यूनियनों के बीच संवाद और सहमति ही इसका एकमात्र स्थायी समाधान हो सकता है। जब तक आवाजें सुनी नहीं जातीं, विरोध की ये लहरें यूँ ही उठती रहेंगी।

    RBI ने लिक्विडिटी कंट्रोल में लिया एक्शन – ₹1 लाख करोड़ निकाले, डेली रेपो नीलामी पर ब्रेक

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    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की बैंकिंग प्रणाली में तेज़ तरलता (Liquidity) की वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को एक Variable Rate Reverse Repo (VRRR) नीलामी के ज़रिए ₹1 लाख करोड़ की नकदी (liquidity) सिस्टम से वापस ले ली।

    इसके साथ ही, रोज़ाना की रेपो नीलामी (Daily Variable Rate Repo) को भी अगले आदेश तक रोकने का ऐलान किया है। इस कदम को भारतीय अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति के संतुलन के रूप में देखा जा रहा है।

    क्या है VRRR और इसका उद्देश्य?

    VRRR (Variable Rate Reverse Repo) ऐसा एक मौद्रिक साधन है जिसकी सहायता से RBI बैंकिंग प्रणाली की वर्तमान अधिशेष नकदी को अपने पास वापस खींच लेता है। जब बैंकों के पास अधिक फंड होते हैं और उधारी की मात्रा कम होती है, RBI VRRR के चरणों में उनके पास से तय ब्याज दर पर पैसा उधार लेता है।

    इससे दो लाभ होते हैं-सिस्टम में नकदी कम होती है।,मदद मिलती है ब्याज दरों को स्थिर रखने में।

    क्यों उठाया गया यह कदम?

    पिछले कुछ समय में देश में नकदी की अधिकता (Surplus Liquidity) देखी जा रही थी। बैंकों के पास लोन की मांग की तुलना में पैसे अधिक थे, जिससे शॉर्ट-टर्म ब्याज दरें गिरने लगीं

    इस अधिशेष के पीछे प्रमुख कारण हैं सरकारी खर्च में तेजी पूंजी बाजारों से बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश (FPI Inflows), ब्याज भुगतान के समय ,अस्थायी मुद्रा प्रवाह बढ़ोतरी RBI को चिंता थी कि अधिक लिक्विडिटी से महंगाई दर (Inflation) के लिए दबाव उत्पन्न हो सकता है और ब्याज दरें अस्थिरित हो सकती हैं। इसके लिए, केंद्रीय बैंक ने ₹1 लाख करोड़ रुपये की राशि VRRR नीलामी के माध्यम से सिस्टम से वापस लेने का निर्णय किया।

    नीलामी पर रोक क्यों?

    VRR Repo Auction एक टूल होता है जिसके द्वारा RBI बैंकों को शॉर्ट-टर्म लोन प्रदान करता है। लेकिन जब पहले से ही अतिरिक्त पैसा व्यवस्था में हो, तब रेपो नीलामी की आवश्यकता नहीं बचती।

    इसकी वजह से RBI ने फिलहाल दैनिक होने वाली VRR Repo Auctions रोकने का निर्णय लिया है। इससे यह चेतावनी मिलती है कि फिलहाल सिस्टम में नकदी की पर्याप्त राशि उपलब्ध है और बैंकों को RBI से ऋण लेने की जरूरत नहीं है।

    1. बैंकिंग सेक्टर: बैंकों के लिए यह एक संकेत है कि उन्हें अपनी नकदी योजना को नए सिरे से समझना होगा। उन्हें अल्पकालिक धन की उपलब्धता में परिवर्तन देख सकते हैं।
    2. ऋण लेने वाले ग्राहक: अगर बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी को रोककर रखने लगें तो लोन की ब्याज दरों में स्थिरता या मामूली बढ़ोतरी संभव है, खासकर होम लोन और कार लोन जैसी कैटेगरी में।
    3. शेयर बाजार: शेयर बाजार में यह सिग्नल मिल सकता है कि RBI अब अधिक सावधान मुद्रा में है और मौद्रिक नीतियों में सख्ती आ सकती है। इससे बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के स्टॉक्स प्रभावित हो सकते हैं।
    4. मुद्रास्फीति (Inflation):
    • नकदी की निकासी से मांग थोड़ी कम गति से चल सकती है, जिससे महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी।

    HDFC Securities के अनुसार, “यह फैसला यह दर्शाता है कि RBI अब ब्याज दरों को निचले स्तर पर गिरने से रोकना चाहता है, ताकि सिस्टम में संतुलन बना रहे और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।”

    आगे क्या उम्मीद की जा सकती है?

    • यदि लिक्विडिटी का अधिशेष बना रहता है, तो RBI आगे और VRRR नीलामियां कर सकता है।
    • रेपो रेट में बदलाव फिलहाल तय नहीं है, लेकिन अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में RBI अपनी रणनीति और स्पष्ट कर सकता है।
    • यह भी संभव है कि त्योहारों के सीजन से पहले RBI नकदी की स्थिति को फिर से संतुलित करने के उपाय करे।
      RBI का ₹1 लाख करोड़ वित्तीय सतह से निकालना और दैनिक VRR रेपो नीलामी पर ब्रेक लगाना, एक संतुलित और संवेदनशील मौद्रिक नीति का प्रमाण है। यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने, महंगाई को नियंत्रित रखने और ब्याज दरों में अस्थिरता से निपटने की दिशा में कारगर भूमिका अदा कर सकता है।

    Public को यह संकेत है कि बैंकों के लोन, ब्याज दर और सेविंग्स पर भविष्य में कुछ विकास देखने को मिल सकता है। इसलिए निवेशकों और ग्राहकों को अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग समझदारी से करनी चाहिए।

    Reliance Jio : कई शहरों में नेटवर्क गायब, यूजर्स बोले- क्या यही 5G है?

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    Reliance Jio 6 जुलाई की रात सेवाओं में अचानक नज़र आने वाली गड़बड़ी के कारण लाखों यूजर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई और कोच्चि जैसे मुख्य शहरों में नेटवर्क कनेक्टिविटी पूरी तरह से ठप हो गई। यूजर्स कॉल नहीं कर पा रहे थे और मोबाइल इंटरनेट भी नहीं चल रहा था।

    यह रात करीब 8:10 बजे शुरू हुई और करीब एक घंटे में सेवाएं बहाल कर दी गईं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि गुजरात और राजस्थान में रहने वाले कई 5G यूजर्स ने इस आउटेज का बढ़िया प्रभाव महसूस किया।

    हालांकि Jio नेटवर्क आउटेज को लेकर हजारों शिकायतें सामने आईं, लेकिन यह समस्या सभी यूजर्स पर असर नहीं डाल रही थी। टेक टीम ने दावा किया है कि उनके डिवाइसों पर नेटवर्क या इंटरनेट की कोई बाधा महसूस नहीं हुई।

    On the other hand, DownDetector पर रिकॉर्ड की गई आंकड़े कुछ और कहानी बयां करते हैं। वेबसाइट के मुताबिक, आउटेज शुरू होने के कुछ घंटों में ही 11,000 से अधिक यूजर्स ने समस्या की रिपोर्ट की। इन शिकायतों में 81% यूजर्स को मोबाइल सिग्नल नहीं मिल रहा था 13% को मोबाइल इंटरनेट की स्पीड में रुकावट का सामना करना पड़ा जबकि 6% ने कॉलिंग या अन्य मोबाइल फ़ंक्शन से जुड़ी दिक्कतें दर्ज कीं

    Reliance Jio कि तकनीकी खराबी हर जगह नहीं, बल्कि कुछ विशेष इलाकों और यूजर्स को ज्यादा प्रभावित कर रही थी। मगर जिन यूजर्स पर असर हुआ, उनके लिए यह अनुभव काफी असुविधाजनक और निराशाजनक रहा।

    एक महीने से भी कम समय में Jio की यह तीसरी बड़ी सेवा बाधा है। इससे पहले 16 जून को केरल,29 जून को गुजरात,और 1 जुलाई को भी मध्य प्रदेश में नेटवर्क पूरी तरह से ठप हो गया था।

    रोजमर्रे आने वाले इन आउटेज से यूजर्स के बीच चिंता बढ़ रही है और कई लोगों का कहना है कि Jio की नेटवर्क विश्वसनीयता अब सवालों के घेरे में है। Reliance Jio की सेवाएं ठप – प्रमुख शहरों में यूजर्स परेशान, कोई आधिकारिक बयान नहीं

    देश के प्रमुख शहरों मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोच्चि में Reliance Jio की नेटवर्क सेवाएं अचानक बाधित हो गईं। बड़ी संख्या में ग्राहकों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ( X) पर शिकायतें दर्ज कराईं कि वे न कॉल कर पा रहे हैं, न मैसेज भेज पा रहे हैं, और मोबाइल डेटा भी पूरी तरह बंद है।
    एक यूजर ने लिखा

    अब तक Reliance Jio की तरफ से इस टैक्नीकल खराबी पर कोई एक्सप्लेनेशन या अपडेट जारी नहीं किया गया है, जिस वजह से यूजर्स की गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोग सवाल पूछ रहे हैं – “क्या भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम प्रोवाइडर को जवाबदेह नहीं होना चाहिए?”

    Delhi में पुरानी गाड़ियों को राहत – जनता की सुनवाई और सिस्टम की गड़बड़ी से पलटा फैसला

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    Delhi सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए पुरानी गाड़ियों (End-of-Life Vehicles) पर लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध को फिलहाल टालने का ऐलान किया है। सरकार का यह यू-टर्न न केवल तकनीकी खामियों के कारण है, बल्कि इसके पीछे जनता का तीखा विरोध भी एक बड़ा कारण रहा है। इस फैसले से लाखों वाहन मालिकों ने राहत की सांस ली है, खासकर वे लोग जो अभी भी अपनी पुरानी गाड़ियों पर निर्भर हैं।

    Delhi सरकार और परिवहन विभाग की योजना थी कि 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से पुराने डीज़ल वाहन को दिल्ली की सड़कों से हटाया जाए। यह नीति पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप थी। इस नियम के लागू होने पर हजारों कारें “End-of-Life” घोषित कर स्क्रैप की जानी थीं।

    क्यों सरकार ने यू-टर्न लिया?

    1. लोगों का विरोध

    संसद के इस फैसले के खिलाफ आम लोगों में जबरदस्त विरोध देखने को मिला। बहुत से लोगों का कहना था कि उनकी कारें अभी भी ठीक हैं। नए कार खरीदना सभी के लिए संभव नहीं। गाड़ियों की वैल्यू के मुकाबले स्क्रैप वैल्यू बहुत कम।

    2. तकनीकी दिक्कतें

    सरकार ने खुद माना कि वाहन पहचान प्रणाली (Vahan portal), फिटनेस सर्वे, और स्क्रैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी तक पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। बड़े पैमाने पर गाड़ियों की पहचान और वैधता की पुष्टि एक सिस्टमेटिक चैलेंज बन गई थी।

    3. सरकारी सेवाओं और जरूरी वाहनों की दिक्कत

    पुराने वाहन केवल आम लोगों के नहीं हैं इसमें कई सरकारी विभाग, स्कूलों की बसें, और छोटे व्यापारियों की गाड़ियाँ भी आती हैं। एक साथ इन सभी को हटाना व्यवहारिक रूप से मुश्किल साबित हो रहा था।

    Delhi में कितनी पुरानी गाड़ियाँ?

    परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में लगभग 40 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं। इनमें से अधिकांश करीब 10 लाख गाड़ियाँ ऐसी हैं जो प्रस्तावित नियमों के तहत “End-of-Life” मानी जा सकती थीं। स्क्रैपिंग की सुविधा अभी भी सीमित जगहों पर ही उपलब्ध है।

    परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा हम लोगों की चिंताओं को गंभीरता से लेते हैं। तकनीकी सिस्टम को स्थिर करने और व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित करने के बाद ही कोई कठोर कदम उठाया जाएगा।

    सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले को “रद्द” नहीं किया गया है, बल्कि इसे फिलहाल के लिए “स्थगित” किया गया है। यानी भविष्य में जब पूरी व्यवस्था तैयार हो जाएगी, तब इसे लागू किया जा सकता है।

    जनता

    मेरी कार 14 साल पुरानी है लेकिन चलने में एकदम सही है। अभी नई गाड़ी लेना मुमकिन नहीं। यह फैसला समझदारी भरा है। – रोहित, दिल्ली निवासी।

    • कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि यह फैसला दिल्ली की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
    • हालांकि, कईयों ने यह भी माना कि “स्मार्ट ट्रांजिशन” ही एकमात्र समाधान है, न कि अचानक स्क्रैपिंग।

    आगे का रास्ता क्या हो सकता है?

    • एक नया फेज-वाइज़ स्क्रैपिंग मॉडल लाया जा सकता है।
    • वाहन मालिकों को इंसेंटिव दिए जाएंगे ताकि वे खुद पुराने वाहनों को स्वेच्छा से स्क्रैप करें।
    • फिटनेस टेस्ट को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार के स्तर पर भी राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपिंग नीति को और प्रभावशाली बनाने की तैयारी चल रही है।

    Delhi सरकार का यह निर्णय यह दर्शाता है कि नीतियां केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई और जन भावना के अनुरूप होनी चाहिए। पुरानी गाड़ियों को लेकर लगे सवाल न केवल पर्यावरण की चिंता को सामने लाते हैं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं की भी याद दिलाते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस तरह से प्रदूषण नियंत्रण और जन सुविधा के बीच संतुलन बनाए रखती है।

    Shefali Jariwala का मुंबई में अंतिम संस्कार, पूर्व पति हरमीत सिंह बोले- मैं पूरी तरह टूट चुका हूं

    Shefali Jariwala | newstips.in

    मुंबई: प्रसिद्ध अभिनेत्री और मॉडल Shefali Jariwala के असामयिक मौत ने फिल्म और टेलीविजन की दुनिया में शोक की लहर दौड़ा दी है। ‘कांटा लगा गर्ल’ नामकी पहचान रखने वाली शेफाली का अंतिम संस्कार मंगलवार को मुंबई के विले पार्ले श्मशान घाट पर किया गया, जहां उनके पति पाराग त्यागी ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। वहीं, उनके पूर्व पति और म्यूजिक डायरेक्टर हरमीत सिंह ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में अपना गहरा दुख व्यक्त किया है और कहा है कि वे “पूरी तरह टूट चुके हैं”.

    शेफाली जरीवाला की पहचान

    Shefali Jariwala ने साल 2002 के सुपरहिट म्यूजिक वीडियो “कांटा लगा” से रातों-रात अपनी पहचान बनाई थी। इस गाने में उनके बोल्ड अंदाज और डांस मूव्स ने युवाओं को दीवाना बना दिया था। इसके बाद उन्होंने कुछ बॉलीवुड फिल्मों में छोटे रोल किए और कई रियलिटी शोज़ जैसे Nach Baliye और Bigg Boss में भी नज़र आईं।

    निधन की खबर से इंडस्ट्री में शोक

    शेफाली जरीवाला के अचानक निधन की खबर से उनके प्रशंसकों और इंडस्ट्री में शोक की लहर फैल गई। खबरों के मुताबिक, उनका निधन सोमवार देर रात हुआ और यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मौत का कारण क्या था। सूत्रों के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है।

    अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब

    मुंबई के विले पार्ले श्मशान घाट में उनके पति पाराग त्यागी, परिवार के सदस्य, करीबी दोस्त और इंडस्ट्री से जुड़े विभिन्न लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया। पाराग पूरी तरह भावुक नजर आए और उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा

    हरमीत सिंह का भावुक संदेश

    शेफाली के दूसरे पति और म्यूजिक डायरेक्टर हरमीत सिंह (हनी सिंह के साथ ‘Meet Bros’ जोड़ी के दूसरे सदस्य) ने भी इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा:

    मैं पूरी तरह टूट चुका हूं। हमने साथ में कई साल बिताए और भले ही रास्ते अलग हो गए, लेकिन शेफाली हमेशा मेरी ज़िंदगी का अहम हिस्सा रहेंगी। मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊंगा।

    यह संदेश यह प्रमाणित करता है कि दोनों के बीच तलाक के कारण भी एक मानवीय संबंध बना रहा।

    फैंस कर रहे हैं सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि

    शेफाली जरीवाला की सudden death से उनके फैंस शॉक में हैं। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग उन्हें tributes दे रहे हैं। #ShefaliJariwala और #RIPShefali ट्रेंड कर रहे हैं। कई फैंस ने उनकी कांटा लगा वीडियो के स्क्रीनशॉट्स और क्लिप्स पोस्ट करते हुए उन्हें ’90s आइकन’ कहा है।

    इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया

    • गौहर खान: बहुत दुखद खबर। भगवान उनके परिवार को शक्ति दे।
    • करण कुंद्रा: शेफाली बहुत पॉजिटिव और स्ट्रॉन्ग थीं, यकीन नहीं होत |
    • राखी सावंत: इंडस्ट्री ने एक चमकता सितारा खो दिया।

    Shefali Jariwala का ऐसे ही अचानक चले जाना इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा नुकसान है। उन्होंने अपने काम से जो पहचान बनाई, वह हमेशा याद रखी जाएगी। उनके पति पाराग त्यागी और पूर्व पति हरमीत सिंह दोनों की प्रतिक्रियाएं इस बात की गवाही देती हैं कि शेफाली सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, एक जिंदादिल इंसान भी थीं।

    ट्रंप बोले- Israel-Iran में शांति हुई, पर जमीनी हालात बता रहे कुछ और

    israel-iran | newstips

    पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि Israel-Iranके बीच अब शांति स्थापित हो चुकी है।” इस घोषणा को विश्वभर में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा जा रहा है। जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। इस्राइल की ओर से ताजा मिसाइल हमलों की पुष्टि ने इस कथित शांति की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    ट्रंप की घोषणा – एक नई शुरुआत या राजनीतिक चाल

    डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर शांति समझौता करवाया है। उनके अनुसार, यह समझौता “मध्य पूर्व में स्थायी शांति की ओर एक बड़ा कदम” है। उन्होंने कहा कि “अब युद्ध नहीं, संवाद होग।

    लेकिन Trump के इस दावे के तुरंत बाद इस्राइल ने रिपोर्ट दी कि ईरान की ओर से फिर से मिसाइल दागे गए हैं, जिससे इस कथित “शांति” की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठे।

    जमीनी हकीकत: मिसाइल हमले अब भी जारी

    ट्रंप की घोषणा के कुछ ही घंटे के बाद, इस देश को सुरक्षा बल (IDF) ने जानकारी दी कि ईरान की सीमा के निकट क्षेत्रों में कई मिसाइल हमले किए गए, जिनका जवाब इस्राइल ने भी भारी रूप में दिया। मीडिया के अनुसार, कई स्थानों पर बमबारी किए गईं और सीमित क्षेत्रों में लोगों को बंकरों में जाना पड़ा।

    इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी बयान दिया कि “हम शांति का स्वागत करते हैं, लेकिन जब तक हमारे नागरिकों पर हमला होता रहेगा, हम चुप नहीं बैठ सकते।”

    इंटरनेशनल रियाक्शन

    ट्रंप के बयान पर संयुक्त राष्ट्र (UN), यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिकी सरकार की वर्तमान बाइडन प्रशासन ने कोई सीधा समर्थन नहीं दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि “हमें फिलहाल इस कथित समझौते की पुष्टि नहीं है और हम हालात पर नज़र बनाए हुए हैं।”

    वहीं Iran की सरकार ने भी ट्रंप की घोषणा को “राजनीतिक प्रोपेगैंडा” करार दिया और इसे झूठा ठहराया।

    क्या ट्रंप की घोषणा एक चुनावी रणनीति है

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह घोषणा अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए की गई है। ट्रंप पहले भी खुद को एक सफल डील मेकर के रूप में पेश करते रहे हैं – चाहे वह उत्तर कोरिया से बातचीत हो या अब ईरान-इस्राइल शांति की बात।

    लेकिन अगर जमीनी हालात उसकी पुष्टि न करें, तो यह घोषणा उनके लिए नुकसानदायक भी हो सकती है।

    आम जनता का नजरिया

    Israel-Iran की आम जनता के बीच अभी भी तनाव, डर और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। कई नागरिकों का कहना है कि “नेताओं की घोषणाएं तो होती रहती हैं, लेकिन हमारी ज़िंदगी हर दिन डर के साये में गुजरती है।

    ट्रंप का यह बयान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा दावा जरूर है, लेकिन जब तक जमीनी स्तर पर युद्धविराम नहीं होता, मिसाइल हमले नहीं रुकते और दोनों देशों के नेताओं की तरफ से औपचारिक पुष्टि नहीं होती – तब तक यह महज एक राजनीतिक स्टंट माना जा सकता है। पूर्व में स्थायी शांति की आश सभी को है, परंतु उसके लिए केवल शब्द गैर-जरूरी, कदम और पारदर्शिता जरूरी है।

    Delhi में जल्द पहुंचेगा मॉनसून, मौसम विभाग ने 25 जून तक येलो अलर्ट जारी किया

    25th June | newstips I delhi

    Delhi वालों के लिए राहत की खबर। भीषण गर्मी से तंग आने वाली राजधानी में जल्द ही मॉनसून की दस्तक होने जा रही है। मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि दिल्ली में मॉनसून अगले 24 से 48 घंटे के भीतर पहुंच सकता है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में झमाझम बारिश, तेज़ हवाएं और गरज-चमक की संभावना जताई गई है। इसको देखते हुए मौसम विभाग ने मंगलवार तक येलो अलर्ट भी जारी कर दिया है।

    मॉनसून:मौसम वैज्ञानिकों के हिसाब से, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून यह साल इस समय पर आगे बढ़ रहा है और अब यह हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंच गया है। अनुमान है कि 24 या 25 जून तक मॉनसून दिल्ली में प्रवेश कर जाएगा। इससे पहले कई हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी और बादल छाए रहने के संकेत मिल रहे हैं।

    मौसम विभाग द्वारा जारी येलो अलर्ट का अर्थ है कि मौसम में सावधानी बरतने की जरूरत है। इसमें हल्की से मध्यम बारिश, तेज़ हवाएँ (30–50 किमी प्रति घंटा) और गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना होती है। येलो अलर्ट लोगों को यह सूचित करता है कि वे मौसम से जुड़ी गतिविधियों के लिए सतर्क रहें।

    कैसा रहेगा दिल्ली का मौसम

    • 24 जून (सोमवार): बादल छाए रहेंगे आसमान में, दोपहर के बाद हल्की बारिश की संभावना।
    • 25 जून (मंगलवार): मॉनसून पूरी तरह प्रवेश करने की उम्मीद, कई क्षेत्रों में तेज बारिश की संभावना।

    26 जून के बाद: तापमान गिरने और मौसम सुहावना रहने की संभावना।

    मॉनसून के आने के लिए क्या होगा फायदा

    1. सुलतानी गर्मी से उबरना: राजधानी में पिछले कई दिनों से तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जा रहा था। बारिश आने के साथ तापमान में 6-8 डिग्री तक कमी आ सकती है।
    2. वायु गुणवत्ता में निशाना: बारिश के साथ धूल और प्रदूषणकारकों की मात्रा कम होगी जिससे AQI में ठीक होने की संभावना है।

    3. खेती और हरियाली में बढ़ोतरी: बारिश के साथ आसपास के ग्रामीण परिसर में बुवाई कार्य को प्रेरणा मिलेगी।

    बारिश के साथ जहां राहत आएगी, वहीं जलभराव, ट्रैफिक जाम और बिजली गिरने जैसी समस्याएं भी उजागर हो सकती हैं। ऐसे में कुछ बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है:

    • खुली जगहों और पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें।
    • मोबाइल चार्जिंग या खुले में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल बारिश के समय न करें।

    जिन इलाकों में जलभराव की आशंका हो वहां से दूर रहें

    सोशल मीडिया: मौसम से जुड़ी हर जानकारी मौसम से संबंधित के लिए IMD वेबसाइट और ट्विटर हैंडल को नियमित रूप से अपडेट करते रहें। इसके साथ ही कई मौसम ऐप्स के अलावा भी AccuWeather, Skymet, आदि रीयल-टाइम अलर्ट प्रदान करते हैं।

    मॉनसून की एंट्री अब दिल्ली में बस कुछ घंटों की दूरी पर है। गर्मी से परेशान लोगों को राहत मिलने वाली है। लेकिन इसके साथ ही सतर्कता भी बरतना जरूरी है। मौसम विभाग द्वारा जारी येलो अलर्ट का ध्यान ना डालें। जरूरी एहतियात जरूर बरतें। बारिश का आनंद लें लेकिन सुरक्षित रहना प्राथमिकता होनी चाहिए।

    America ने ईरान पर 37 घंटे तक किए हवाई हमले, जवाब में बड़ी चेतावनी दी

    America | Newstips.in

    America Iran attack एक बार फिर वैश्विक राजनीति में हलचल का कारण बन गया है। अमेरिका ने हाल ही में ईरान के परमाणु ठिकानों पर 37 घंटे तक लगातार हवाई हमले किए। इस कार्रवाई में अमेरिकी बॉम्बर्स ने मध्य-आकाश में ईंधन भरवाकर लगातार बमबारी की। इसके जवाब में ईरान ने चेतावनी दी है कि भविष्य में उसके हमले और भी घातक होंगे।

    क्या है पूरा मामला

    America ने कहा है कि उन्होंने यह कार्रवाई ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए की है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, ईरान ने अपने परमाणु संयंत्रों में फिर से संवेदनशील गतिविधियां शुरू कर दी हैं जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ हैं। इसी के लिए अमेरिका ने सैन्य कार्रवाई करते हुए 37 घंटे तक लगातार बमबारी की।

    • America B-2 और B-52 बॉम्बर्स ने इस मिशन को पूर्ण किया।
    • बॉम्बर्स ने मध्य-आकाश ही में कई बार ईंधन भरवाया।
    • बिना रुके 37 घंटे तक चलाया गया यह मिशन।

    निशाना होने वाला स्थान ईरान के परमाणु गतिविधियों के संबंध माने जा रहे हैं।

    ईरान की प्रतिक्रिया

    ईरान ने अमेरिका की इस कार्रवाई पर “आक्रामकता की चरम सीमा” कहा है। ईरानी सैन्य प्रवक्ता ने कहा, यदि अमेरिका ने दोबारा इस कार्रवाई की, तो ईरान का जवाब कहीं अधिक शक्तिशाली और विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा, “हम किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेंगे और हमारे पास प्रतिशोध की पूरी तैयारी है.”

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

    • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
    • रूस और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे क्षेत्रीय शांति को खतरा हो सकता है।

    इजराइल ने अमेरिका की कार्रवाई का समर्थन करते हुए इसे “सही दिशा में कदम” बताया।

    इस हमले के पीछे की रणनीति अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है कि ईरान चुपचाप अपने परमाणु हथियारों का भंडार बढ़ा रहा है। अमेरिका पहले भी कई बार कह चुका है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

    अमेरिका और ईरान के बीच पुराना तनाव

    • 2018 में ट्रंप प्रशासन ने ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया था।
    • इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते चलाते-चलाते बदतर होते चले गए।
    • 2020 में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिका की ड्रोन हमले में हुई मृत्यु के बाद तनाव का/Peak स्तर हो गया था।

    भारत का रुख: भारत ने अब तक इस संदर्भ में संयम बरता है और शांति बनाए रखने की अपील सभी पक्षों से की है। भारत के लिए यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पश्चिम एशिया में तनाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी भारतीयों पर सीधा प्रभाव डालने का काम कर सकता है।

    • तेल की कीमतों में उछाल हो सकता है।
    • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है।
    • खतरा क्षेत्रीय देशों की सुरक्षा पर मंडरा सकता है।
    • विश्वीय स्तर पर एक और युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

    अमेरिका और ईरान के बीच यह सैन्य टकराव वैश्विक राजनीति को गंभीर दिशा में ले जा सकता है। जहां अमेरिका एक ओर ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकना चाहता है, वहीं ईरान इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मामला कूटनीति से सुलझेगा या किसी बड़े युद्ध का रूप लेगा