RBI ने लिक्विडिटी कंट्रोल में लिया एक्शन – ₹1 लाख करोड़ निकाले, डेली रेपो नीलामी पर ब्रेक

RBI | newstips.in

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की बैंकिंग प्रणाली में तेज़ तरलता (Liquidity) की वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को एक Variable Rate Reverse Repo (VRRR) नीलामी के ज़रिए ₹1 लाख करोड़ की नकदी (liquidity) सिस्टम से वापस ले ली।

इसके साथ ही, रोज़ाना की रेपो नीलामी (Daily Variable Rate Repo) को भी अगले आदेश तक रोकने का ऐलान किया है। इस कदम को भारतीय अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति के संतुलन के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है VRRR और इसका उद्देश्य?

VRRR (Variable Rate Reverse Repo) ऐसा एक मौद्रिक साधन है जिसकी सहायता से RBI बैंकिंग प्रणाली की वर्तमान अधिशेष नकदी को अपने पास वापस खींच लेता है। जब बैंकों के पास अधिक फंड होते हैं और उधारी की मात्रा कम होती है, RBI VRRR के चरणों में उनके पास से तय ब्याज दर पर पैसा उधार लेता है।

इससे दो लाभ होते हैं-सिस्टम में नकदी कम होती है।,मदद मिलती है ब्याज दरों को स्थिर रखने में।

क्यों उठाया गया यह कदम?

पिछले कुछ समय में देश में नकदी की अधिकता (Surplus Liquidity) देखी जा रही थी। बैंकों के पास लोन की मांग की तुलना में पैसे अधिक थे, जिससे शॉर्ट-टर्म ब्याज दरें गिरने लगीं

इस अधिशेष के पीछे प्रमुख कारण हैं सरकारी खर्च में तेजी पूंजी बाजारों से बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश (FPI Inflows), ब्याज भुगतान के समय ,अस्थायी मुद्रा प्रवाह बढ़ोतरी RBI को चिंता थी कि अधिक लिक्विडिटी से महंगाई दर (Inflation) के लिए दबाव उत्पन्न हो सकता है और ब्याज दरें अस्थिरित हो सकती हैं। इसके लिए, केंद्रीय बैंक ने ₹1 लाख करोड़ रुपये की राशि VRRR नीलामी के माध्यम से सिस्टम से वापस लेने का निर्णय किया।

नीलामी पर रोक क्यों?

VRR Repo Auction एक टूल होता है जिसके द्वारा RBI बैंकों को शॉर्ट-टर्म लोन प्रदान करता है। लेकिन जब पहले से ही अतिरिक्त पैसा व्यवस्था में हो, तब रेपो नीलामी की आवश्यकता नहीं बचती।

इसकी वजह से RBI ने फिलहाल दैनिक होने वाली VRR Repo Auctions रोकने का निर्णय लिया है। इससे यह चेतावनी मिलती है कि फिलहाल सिस्टम में नकदी की पर्याप्त राशि उपलब्ध है और बैंकों को RBI से ऋण लेने की जरूरत नहीं है।

  1. बैंकिंग सेक्टर: बैंकों के लिए यह एक संकेत है कि उन्हें अपनी नकदी योजना को नए सिरे से समझना होगा। उन्हें अल्पकालिक धन की उपलब्धता में परिवर्तन देख सकते हैं।
  2. ऋण लेने वाले ग्राहक: अगर बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी को रोककर रखने लगें तो लोन की ब्याज दरों में स्थिरता या मामूली बढ़ोतरी संभव है, खासकर होम लोन और कार लोन जैसी कैटेगरी में।
  3. शेयर बाजार: शेयर बाजार में यह सिग्नल मिल सकता है कि RBI अब अधिक सावधान मुद्रा में है और मौद्रिक नीतियों में सख्ती आ सकती है। इससे बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के स्टॉक्स प्रभावित हो सकते हैं।
  4. मुद्रास्फीति (Inflation):
  • नकदी की निकासी से मांग थोड़ी कम गति से चल सकती है, जिससे महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी।

HDFC Securities के अनुसार, “यह फैसला यह दर्शाता है कि RBI अब ब्याज दरों को निचले स्तर पर गिरने से रोकना चाहता है, ताकि सिस्टम में संतुलन बना रहे और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।”

आगे क्या उम्मीद की जा सकती है?

  • यदि लिक्विडिटी का अधिशेष बना रहता है, तो RBI आगे और VRRR नीलामियां कर सकता है।
  • रेपो रेट में बदलाव फिलहाल तय नहीं है, लेकिन अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में RBI अपनी रणनीति और स्पष्ट कर सकता है।
  • यह भी संभव है कि त्योहारों के सीजन से पहले RBI नकदी की स्थिति को फिर से संतुलित करने के उपाय करे।
    RBI का ₹1 लाख करोड़ वित्तीय सतह से निकालना और दैनिक VRR रेपो नीलामी पर ब्रेक लगाना, एक संतुलित और संवेदनशील मौद्रिक नीति का प्रमाण है। यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने, महंगाई को नियंत्रित रखने और ब्याज दरों में अस्थिरता से निपटने की दिशा में कारगर भूमिका अदा कर सकता है।

Public को यह संकेत है कि बैंकों के लोन, ब्याज दर और सेविंग्स पर भविष्य में कुछ विकास देखने को मिल सकता है। इसलिए निवेशकों और ग्राहकों को अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग समझदारी से करनी चाहिए।