Delhi में पुरानी गाड़ियों को राहत – जनता की सुनवाई और सिस्टम की गड़बड़ी से पलटा फैसला

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Delhi सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए पुरानी गाड़ियों (End-of-Life Vehicles) पर लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध को फिलहाल टालने का ऐलान किया है। सरकार का यह यू-टर्न न केवल तकनीकी खामियों के कारण है, बल्कि इसके पीछे जनता का तीखा विरोध भी एक बड़ा कारण रहा है। इस फैसले से लाखों वाहन मालिकों ने राहत की सांस ली है, खासकर वे लोग जो अभी भी अपनी पुरानी गाड़ियों पर निर्भर हैं।

Delhi सरकार और परिवहन विभाग की योजना थी कि 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से पुराने डीज़ल वाहन को दिल्ली की सड़कों से हटाया जाए। यह नीति पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप थी। इस नियम के लागू होने पर हजारों कारें “End-of-Life” घोषित कर स्क्रैप की जानी थीं।

क्यों सरकार ने यू-टर्न लिया?

1. लोगों का विरोध

संसद के इस फैसले के खिलाफ आम लोगों में जबरदस्त विरोध देखने को मिला। बहुत से लोगों का कहना था कि उनकी कारें अभी भी ठीक हैं। नए कार खरीदना सभी के लिए संभव नहीं। गाड़ियों की वैल्यू के मुकाबले स्क्रैप वैल्यू बहुत कम।

2. तकनीकी दिक्कतें

सरकार ने खुद माना कि वाहन पहचान प्रणाली (Vahan portal), फिटनेस सर्वे, और स्क्रैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी तक पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। बड़े पैमाने पर गाड़ियों की पहचान और वैधता की पुष्टि एक सिस्टमेटिक चैलेंज बन गई थी।

3. सरकारी सेवाओं और जरूरी वाहनों की दिक्कत

पुराने वाहन केवल आम लोगों के नहीं हैं इसमें कई सरकारी विभाग, स्कूलों की बसें, और छोटे व्यापारियों की गाड़ियाँ भी आती हैं। एक साथ इन सभी को हटाना व्यवहारिक रूप से मुश्किल साबित हो रहा था।

Delhi में कितनी पुरानी गाड़ियाँ?

परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में लगभग 40 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं। इनमें से अधिकांश करीब 10 लाख गाड़ियाँ ऐसी हैं जो प्रस्तावित नियमों के तहत “End-of-Life” मानी जा सकती थीं। स्क्रैपिंग की सुविधा अभी भी सीमित जगहों पर ही उपलब्ध है।

परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा हम लोगों की चिंताओं को गंभीरता से लेते हैं। तकनीकी सिस्टम को स्थिर करने और व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित करने के बाद ही कोई कठोर कदम उठाया जाएगा।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले को “रद्द” नहीं किया गया है, बल्कि इसे फिलहाल के लिए “स्थगित” किया गया है। यानी भविष्य में जब पूरी व्यवस्था तैयार हो जाएगी, तब इसे लागू किया जा सकता है।

जनता

मेरी कार 14 साल पुरानी है लेकिन चलने में एकदम सही है। अभी नई गाड़ी लेना मुमकिन नहीं। यह फैसला समझदारी भरा है। – रोहित, दिल्ली निवासी।

  • कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि यह फैसला दिल्ली की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
  • हालांकि, कईयों ने यह भी माना कि “स्मार्ट ट्रांजिशन” ही एकमात्र समाधान है, न कि अचानक स्क्रैपिंग।

आगे का रास्ता क्या हो सकता है?

  • एक नया फेज-वाइज़ स्क्रैपिंग मॉडल लाया जा सकता है।
  • वाहन मालिकों को इंसेंटिव दिए जाएंगे ताकि वे खुद पुराने वाहनों को स्वेच्छा से स्क्रैप करें।
  • फिटनेस टेस्ट को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार के स्तर पर भी राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपिंग नीति को और प्रभावशाली बनाने की तैयारी चल रही है।

Delhi सरकार का यह निर्णय यह दर्शाता है कि नीतियां केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई और जन भावना के अनुरूप होनी चाहिए। पुरानी गाड़ियों को लेकर लगे सवाल न केवल पर्यावरण की चिंता को सामने लाते हैं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं की भी याद दिलाते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस तरह से प्रदूषण नियंत्रण और जन सुविधा के बीच संतुलन बनाए रखती है।